Bank Loans: बैंक लोन से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले सवाल!
जब आप किसी बैंक (या वित्तीय संस्थानों में) लोन के लिए आवेदन करते हैं तो इस बीच आपको कई प्रोसेस से गुजरना पड़ सकता है. जिसमें कुछ चीजें ऐसी होती है जिनको समझने में हमें काफी परेशानी होती है.
ख़ास इसी समस्या से निपटने के लिए, इस आर्टिकल में दिए गए हैं कुछ ऐसे कन्फ्यूजन के जवाब जिनको जानने के बाद आप भी लोन लेने में एक्सपर्ट बन जाएंगे.
लेकिन उससे पहले हमें समझना होगा…
लोन का सही मतलब
एक लोन, किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए ली जाने वाली एक चीज होती है. खासकर वह धन जो ब्याज के साथ वापस भुगतान किए जाने की उम्मीद पर हो. आमतौर पर लोन बैंक, कोऑपरेशन, फाइनेंशियल इंस्टिट्यूट, सरकारी और गैर-सरकारी कंपनियों द्वारा प्रदान किया जाता है.
आज हमारे बीच कई तरह के लोन प्रचलित हैं, जिनमें सबसे पहले पर्सनल, प्रॉपर्टी, गोल्ड, जैसे लोनों का नाम आता है.
अब चलते है उन सवालों पर…
सेक्योर्ड और अनसेक्योर्ड लोन आखिर क्या है?
सेक्योर्ड और अनसेक्योर्ड लोन को सुरक्षित और असुरक्षित लोन भी कहा जाता है. दरअसल सेक्योर्ड लोन का मतलब यहां ऐसे लोन से होता है जिसमें आवेदनकर्ता को लोन किसी चीज को गिरवी रख कर दिया जाता हो. वहीं अनसिक्योर्ड लोन में आवेदनकर्ता को बिना किसी संपत्ति के लोन प्रदान किया जाता है.
पर्सनल लोन एक अनसेक्योर्ड लोन होता है वहीं होम लोन, गोल्ड लोन, बिजनेस लोन, सेक्योर्ड लोन की श्रेणी में आते हैं.
इसके बारे में गहराई से समझने के लिए आप इस आर्टिकल को पढ़े: सेक्योर्ड और अनसेक्योर्ड लोन में आपके लिए कौनसा ऑप्शन सही रहेगा?
सिबिल स्कोर क्या है? और लोन लेने में इसकी क्या भूमिका होती है?
सिबिल स्कोर 300 से 900 के बीच एक तीन अंक की संख्या होती है जो आपकी क्रेडिट योग्यता को दर्शाती है. जहां 900 सबसे अच्छा सिबिल स्कोर हैं, दरअसल ऋणदाता सिबिल स्कोर के जरिए लोन देने के जोखिम का पता लगाता है. आपके द्वारा फाइनेंस कराए गए कोई सामान, लोन, क्रेडिट कार्ड, जैसे कई फैक्टर्स पर सिबिल स्कोर को निर्धारित किया जाता है.
सिबिल स्कोर के बारे में और अधिक जानने के लिए इस आर्टिकल को पढ़ें: सिबिल स्कोर कैसे काम करता है एवं अपना सिबिल स्कोर कैसे जान सकते हैं.
बैंक और एनबीएफसी से लोन लेने के लिए क्या-क्या योग्यताएं होनी चाहिए?
लगभग सभी बैंक और वित्तीय कंपनियां अपने ग्राहकों को कई तरह के लोन की सुविधा देती हैं. हर एक लोन के लिए अलग योग्यता निर्धारित की जाती है. यह निर्भर करता है आप किस तरह का लोन लेना चाह रहे हैं. यहां कुछ सामान्य योग्यताएं हैं जो बैंक और एनबीएफसी द्वारा लोन लेने के लिए आवेदनकर्ता के पास होनी चाहिए जिनमें शामिल है:
- स्थिर रोज़गार
- ₹25,000 रुपए महीने की आमदनी
- 750 और इससे अधिक क्रेडिट स्कोर
- 21 से 55 साल के बीच उम्र
- कोई संपत्ति गिरवी रखने के लिए (अगर लोन सेक्योर्ड हो तो)
लोन योग्यताओं के बारे में और जानने के लिए इस आर्टिकल को पढ़े: भारत में कोई भी लोन लेने के लिए आपके पास होनी चाहिए यह योग्यताएं.
बैंक और एनबीएफसी से लोन लेने के लिए कौनसे दस्तावेज लगते हैं?
ठीक लोन योग्यताओं की तरह हर लोन के आधार पर कुछ दस्तावेज भी अलग हो सकते हैं. लेकिन सामान्य रूप से लगने वाले दस्तावेजों में शामिल हैं:
पहचान प्रमाण सत्यापित करने के लिए इस्तेमाल होने वाले दस्तावेज:
- आधार कार्ड
- पहचान पत्र
- पैन कार्ड
- ड्राइविंग लाइसेंस
आय सत्यापित करने के लिए इस्तेमाल होने वाले दस्तावेज:
- आय प्रमाण पत्र
- बैंक स्टेटमेंट
- कुछ महीने पहले की सैलरी स्लिप (नौकरीपेशा के लिए)
- इनकम टैक्स रिटर्न (स्वरोजगार के लिए)
निवास प्रमाण सत्यापित करने के लिए इस्तेमाल होने वाले दस्तावेज:
- रेजिडेंशियल सर्टिफिकेट
- यूटिलिटी बिल (फोन, बिजली बिल, आदि)
- राशन कार्ड
- किरायानामा (घर किराये की स्थिति होने पर)
लोन दस्तावेजों के बारे में और अधिक जानने के लिए इस आर्टिकल को पढ़ें: लोन लेने के लिए किन दस्तावेजों की जरूरत होती है? जानिए लोन के आधार पर
लोन ईएमआई नहीं चुकाने पर क्या होता है?
यदि आप लोन लेने के बाद उसे समय पर अदा नहीं करते हो और यह प्रक्रिया लंबे समय तक चलती है तो ऋणदाता डिफॉल्टर के रूप में रिपोर्ट कर सकता है. जिसके तहत आपके सिबिल स्कोर पर एक गंभीर प्रभाव पड़ेगा. इसके साथ ही ऋणदाता लोन आवेदनकर्ता पर कानूनी कार्रवाई भी कर सकता है. हालांकि कई मामलों में ऋणदाता कुछ समय की मोहलत भी दे सकता है लोन पॉलिसी के आधार पर.
क्या लोन माफ कराया जा सकता है?
कई बार ऐसी स्थिति आ जाती है जिसमें आवेदनकर्ता पूरी तरह दिवालिया हो जाता है. और ब्याज के चलते लोन का भार बढ़ता रहता है. जिससे आवेदनकर्ता ऋण चुकाने में असमर्थ हो जाता है. ऐसी स्थिति में बैंक इस लोन को नॉन परफॉर्मिंग एसेट या एनपीए में डाल देते हैं और लोन की अधिकांश राशि और ब्याज माफ कर देते हैं एवं बैंक उस आदमी को एक बार में थोड़ी राशि चुका कर लोन से बाहर निकलने का मौका देती है.
इस तरह आवेदनकर्ता लोन से बाहर निकल सकता है. लेकिन ऐसी स्थिति में आगे लोन मिलना लगभग न के बराबर हो जाता है.और क्रेडिट स्कोर भी एकदम फुस्स हो जाता है.
कितने दिन में मिल जाता है बैंक से लोन?
यह निर्भर करता है आप किस बैंक से कौनसा लोन ले रहे हैं. साथ ही आप बैंक के किस तरह के ग्राहक हैं. सामान्य तौर पर लोन अप्रूव होने से लेकर लोन की राशि मिलने तक 1 महीने का समय लग सकता है.
किस तरह की संपत्ति पर बैंक लोन देती है?
संपत्ति से यहां ऐसी चीज से मतलब है जिसकी बाजार में अपनी वैल्यू हो. अब वो आपकी खुदकी जमीन, मकान कुछ भी हो सकता है. बैंकों द्वारा आपको कई तरह की संपत्तियों पर लोन मिल सकता है, जिनमें कुछ है: आवासीय और वाणिज्यिक संपत्तियां, सोना आदि.
कौनसी बैंक सबसे सस्ता लोन देती है?
इसका सटीक जवाब दे पाना मुश्किल है क्योंकि बैंकों की ब्याज दर समय के साथ बदलती रहती है. हालांकि पुरानी रिकॉर्ड से देखा जाए तो यहां कुछ ऐसी बैंक है जो कम ब्याज दर पर लोन की सुविधा प्रदान करती है, जिनमें शामिल है:
- स्टेट बैंक ऑफ इंडिया
- पंजाब नेशनल बैंक
- इंडियन बैंक
- करूर वैश्य बैंक
- आईडीबीआई बैंक, आदि
कई एनबीएफसी कंपनियां भी कम ब्याज दरों में लोन की सुविधा प्रदान करती हैं जिनमें कुछ ये है:
- टाटा कैपिटल
- मुथूट फाइनेंस
- बजाज फिनसर्व
- मनी टैप
- फेयरसेंट, आदि.
लोन लेने में गारंटर का क्या रोल होता है?
ज्यादातर बैंक और संस्था लोन देने के लिए गारंटर मांगते हैं. दरअसल गारंटर से यहां ऋणदाता यह सुनिश्चित करता है कि लोन आवेदनकर्ता अगर किसी कारण लोन नहीं चुका सका तो उस गारंटर से इस लोन की रकम वसूली जाएगी.हर बैंक और संस्था के गारंटर को लेकर अलग नियम हो सकते हैं.
क्या लोन की पूरी कीमत चुका कर उसे समय से पहले बंद कर सकते हैं?
कई बैंक और संस्थाएं इस चीज की सुविधा देती है.जब आप लोन लेते हैं तो ऋणदाता पॉलिसी में यह चीज पहले ही आपको बता देता है जिसे प्री-क्लोज़ कहा जाता है. आप एक निश्चित समय के चलते लोन प्री-क्लोज़ के लिए आवेदन कर सकते हैं जिसके लिए ऋणदाता की पॉलिसी के आधार पर आपसे प्री-क्लोजर शुल्क लिया जा सकता है.